Shodashi No Further a Mystery

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In Yet another depiction of hers, she's shown being a sixteen-yr-outdated young and sweet Lady decorated with jewels using a stunning shimmer and a crescent moon adorned over her head. She's sitting down around the corpses of Shiva, Vishnu, and Brahma.

It had been listed here way too, that The good Shankaracharya himself put in the picture of the stone Sri Yantra, perhaps the most sacred geometrical symbols of Shakti. It could possibly nonetheless be viewed these days during the inner chamber on the temple.

पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् ।

यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥४॥

ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, read more यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।

The Mantra, Conversely, is often a sonic representation with the Goddess, encapsulating her essence by means of sacred syllables. Reciting her Mantra is thought to invoke her divine existence and bestow blessings.

Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra produces a spiritual shield close to devotees, protecting them from negativity and unsafe influences. This mantra acts to be a supply of protection, supporting folks sustain a beneficial ecosystem free of charge from psychological and spiritual disturbances.

श्रीचक्रवरसाम्राज्ञी श्रीमत्त्रिपुरसुन्दरी ।

लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते

श्रौतस्मार्तक्रियाणामविकलफलदा भालनेत्रस्य दाराः ।

कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥

Lalita Jayanti, a significant Pageant in her honor, is celebrated on Magha Purnima with rituals and communal worship functions like darshans and jagratas.

श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥

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